पिता की परिकल्पना
मार्गदर्शक, बड़ी दुनिया,
सलाहकार व शुभचिंतक अपनी हिफाजत करने का,
सबसे खूबसूरत उपहार है।
यही जिंदगी है,
यही सबसे बेहतरीन त्योहार है।
समग्र विकास में,
इन चारों तनों की बड़ी अहमियत है,
इस पेड़ को,
काटकर समृद्धि और खुशहाली लाने में सफल होने से,
वंचित रह जाएगी,
इस कारण इस इल्म में,
रहती बड़ी बरक्कत है।
नवीन चेतना को जागृत करने में,
इस अवतार की परिकल्पना नहीं,
बल्कि उम्मीद की रहती जरूरत है।
सम्पन्नता और सुकून देने वाली,
सबसे खूबसूरत शराफ़त है।
पिता आसमानी किताब है,
इसकी वजह से ही यहां,
हमेशा दुनिया होती आबाद है,
सब कहते इस कारण या यूं कहें,
बन जाती आफताब है।
नम्रता और सुचिता यही सीखा जाता है,
करिश्माई व्यक्तित्व को,
देती एक आवाज है।
प्रगति और विकास को,
लेकर तरह-तरह की बातें कही जाती है,
समृद्धि और खुशहाली लाने की,
यही कहानी लिखी जाती है।
— डॉ. अशोक,पटना