कविता

पिता की परिकल्पना

मार्गदर्शक, बड़ी दुनिया,
सलाहकार व शुभचिंतक अपनी हिफाजत करने का,
सबसे खूबसूरत उपहार है।
यही जिंदगी है,
यही सबसे बेहतरीन त्योहार है।

समग्र विकास में,
इन चारों तनों की बड़ी अहमियत है,
इस पेड़ को,
काटकर समृद्धि और खुशहाली लाने में सफल होने से,
वंचित रह जाएगी,
इस कारण इस इल्म में,
रहती बड़ी बरक्कत है।

नवीन चेतना को जागृत करने में,
इस अवतार की परिकल्पना नहीं,
बल्कि उम्मीद की रहती जरूरत है।
सम्पन्नता और सुकून देने वाली,
सबसे खूबसूरत शराफ़त है।

पिता आसमानी किताब है,
इसकी वजह से ही यहां,
हमेशा दुनिया होती आबाद है,
सब कहते इस कारण या यूं कहें,
बन जाती आफताब है।

नम्रता और सुचिता यही सीखा जाता है,
करिश्माई व्यक्तित्व को,
देती एक आवाज है।
प्रगति और विकास को,
लेकर तरह-तरह की बातें कही जाती है,
समृद्धि और खुशहाली लाने की,
यही कहानी लिखी जाती है।

— डॉ. अशोक,पटना

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - [email protected]