कविता

समय बड़ा बलवान

रूकता न थकता कभी,

निरंतर रहें गतिमान,

बीता हुआ लौटे न कभी,

समय बड़ा बलवान।।

घूमे समय का पहिया,

कहीं धूप, कहीं छांव,

मखमल बिछे राहों में, 

रिसते कभी अनगिन घांव।।

उल्टा सीधा घूमे पहिया,

मत करना अभिमान। 

कभी राजा रंक बने,

रंक को मिले राज सम्मान।।

गोल- गोल यह घुमता जाये,

इसके साथ तालमेल बिठाये,

बढ़ता जाये समय का पहिया,

भूलभुलैया में भटकाए।।

समय परिवर्तनशील हैं,

कल क्या होगा नहीं हैं पता,

समय की डोर जिसने थामी,

मुकद्दर का सिकंदर बन जाता।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८