कविता

विफलता

कामयाबी का प्रथम चरण है विफलता,
यदि किये जाये निरंतर प्रयत्न
तो निश्चित ही कदम चूमेगी सफलता,
कुछ ही लोग हैं जो
असफलता को एक चुनौती के रूप में लेते हैं,
तन मन से लगा हुआ शख्स
हमेशा आश्चर्यजनक परिणाम देते हैं,
प्रगति पथ पर बढ़े सभी लोगों की
एक जैसी परिस्थितियां और कहानी होती है,
प्रयास का एक एक कठिन पल
आंखों में बसी व याद मुंहजबानी होती है,
मगर कई ऐसे भी हैं जो
दो चार प्रयासों से ही हार मान लेते हैं,
चुनौतियों से टूट खुद को
टूटा बुझा हथियार मान लेते हैं,
सोचो किस सफल व्यक्ति ने
अपने जीवन में नहीं किया संघर्ष है,
त्याग,समर्पण के दम पर पाया उत्कर्ष है,
यदि कोई मन में पाना ठान ले,
उसे ही अपना लक्ष्य मान ले,
तो बताओ ऐसे लोगों को कब रोका है कायनात,
वहीं आगे बढ़ा जिसके मन में है विश्वास,
उगते सूरज को कौन रोक पाया है,
सबको पता है वह अंधेरा चीर आया है,
जिसे पढ़ने से रोका गया
मत भूलो उस अम्बेडकर भीमराव को,
उन्होंने लक्ष्य पाने खातिर
रोका था अस्पृश्याई लावा रिसाव को,
और जब हीरा चमका तो दुनिया देखती रही,
नहीं आया इनके जैसा भारत में सूर्य और कहीं,
तो मत घबराओ कभी अपनी विफलता से,
और न ही घमंड करो कभी अपनी सफलता से।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554

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