कविता

मुंह बंद करा गया

वो चिल्ला चिल्ला बताने लगा,
लिखे हैं बहुत किताबें सुनाने लगा,
अपने ही मुख खुद का करने लगा गुणगान,
चमत्कारियों की करतूतों का
हर जगह करने लगा बखान,
वो कह रहा था कि उनके किताबों में
भरा हुआ है विज्ञान ही विज्ञान,
जिसकी व्याख्या नहीं कर पाता
समय में पहले कोई स्वयंभू विद्वान,
आज के युग में भी धड़ल्ले से
हर जगह अंधविश्वास फैला रहा,
सृष्टि की उत्पत्ति का अजीब फार्मूला
कथे कहानियों में बता रहा,
दिमाग से पैदल चलने वाला
उनकी हां में हां मिला रहा,
अपनी स्थिति से ऊपर उठ नहीं सकते
सारे जग वालों को बता रहा,
इन लोगों के मिल रहा देखने
हर हमेशा दो दो रूप,
अंदर बाहर हर तरफ से है कुरूप,
सच्चे सीधे नास्तिक से एक दिन टकरा गया,
जो सिर्फ जय भीम बोल कर
उनका बड़ा सा मुंह बंद करा गया।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554