चुनाव देखो हो रहा है
सब लड़ रहे हैं,
आगे बढ़ रहे हैं,
लड़ रहा है भाई भाई,
बहू संग सासू माई,
एक नहीं हो रहे,
नेक नहीं हो रहे,
मतैक्य नहीं हो रहे,
दबंग भी लड़ रहा,
मलंग भी लड़ रहा,
भुजंग भी लड़ रहा,
चुनावी ताप बढ़ रहा,
मिठाई की भरमार है,
धन बल बेशुमार है,
मतदाताओं में चुप्पी है,
प्रत्याशी बेकरार है,
बेवड़ों में छलका जाम है,
हर दिन सुबह और शाम है,
मुराद पूरी न हुए तो
धमकी देना आम है,
पीना खाना ही इनका काम है,
प्रजातंत्र रो रहा है,
जिम्मेदार सो रहा है,
धर्म की ललक है जागी इतनी
इंसानियत बिलख के रो रहा है,
हो रहा है हो रहा है,
चुनाव देखो हो रहा है।
— राजेन्द्र लाहिरी