दोहे
साहस पर होते रहे, कितने वाद-विवाद।
सेना ने बदला लिया, दो हफ्तों के बाद।1।
पापी पाकिस्तान से, नहीं देश को नेह।
मोदी जी की बात पर, मत करना सन्देह।2।
दहशत के अड्डे किये, घर में घुसकर ध्वस्त।
आतंकी आकाओं के, हुए हौसले पस्त।3।
भारत देना जानता, खुद माकूल जवाब।
निर्दोषों के खून का, करता साफ हिसाब।4।
जब हठधर्मी पर अड़ें, मुल्ला और इमाम।
भारत करना जानता, उनका काम तमाम।5।
रखना है सदभाव का, भारत में परिवेश।
जाति-धर्म के नाम पर, नहीं बँटेगा देश।6।
सम्बन्धों के तार अब, सभी गये हैं टूट।
बैरी पाकिस्तान को, नहीं मिलेगी छूट।7।
— डॉ रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’