धरा की गुहार
ये पृथ्वी हमें बचानी होगी ।
वरना, निर्जीव हमारी कहानी होगी ।।
वृक्ष वन, जल -जीव सब घटता जा रहा है ।
पृथ्वी से जीवन मिटता जा रहा हैं ।।
पेड़-पौधें जल-जीवन हम बचाऐंगें ।
तभी इस भू पर, सांस हम ले पाऐगें ।।
मत करो बर्बाद बंजर धरा करें गुहार ।
जीवन भर दिए इसने अमूल्य उपहार ।।
वजूद जो मेरा हरा-भरा होगा ।
“वरना” सिर्फ शून्य से सब भरा होगा ।।
— रीना सिंह ( रचना )