कविता

धरा की गुहार

ये पृथ्वी हमें बचानी होगी ।
वरना, निर्जीव हमारी कहानी होगी ।।

वृक्ष वन, जल -जीव सब घटता जा रहा है ।
पृथ्वी से जीवन मिटता जा रहा हैं ।।

पेड़-पौधें जल-जीवन हम बचाऐंगें ।
तभी इस भू पर, सांस हम ले पाऐगें ।।

मत करो बर्बाद बंजर धरा करें गुहार ।
जीवन भर दिए इसने अमूल्य उपहार ।।

वजूद जो मेरा हरा-भरा होगा ।
“वरना” सिर्फ शून्य से सब भरा होगा ।।

— रीना सिंह ( रचना )

रीना सिंह गहलौत 'रचना'

कवयित्री नई दिल्ली

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