पर्यावरण दिवस,संरक्षण समर्पण या औपचारिकता?
पर्यावरण दिवस का उद्देश्य,
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है ताकि लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके और उन्हें इसके महत्व का एहसास कराया जा सके। इसका मकसद है कि हर व्यक्ति, सरकार और संस्था अपने स्तर पर पर्यावरण की रक्षा के लिए कदम उठाए।
हकीकत,समर्पण या औपचारिकता?
अक्सर देखा गया है कि पर्यावरण दिवस पर कई योजनाएं और अभियान शुरू होते हैं, लेकिन ये अधिकतर एक दिन की औपचारिकता बनकर रह जाते हैं। अगले ही दिन ये प्रयास भुला दिए जाते हैं, जिससे वास्तविक बदलाव नहीं आ पाता।सरकारें और संस्थाएं अपनी भूमिका निभाती हैं, लेकिन जब तक आम लोग अपनी आदतें नहीं बदलेंगे, तब तक पर्यावरण संरक्षण केवल एक रस्म ही रहेगा।व्यक्तिगत स्तर पर छोटे-छोटे कदम—जैसे प्लास्टिक का कम उपयोग, पानी-बिजली की बचत, पौधारोपण,वास्तविक समर्पण को दर्शाते हैं और यही बदलाव ला सकते हैं।सच्चाई और उद्देश्य।पर्यावरण दिवस का मूल उद्देश्य सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि लोगों में जिम्मेदारी और समर्पण की भावना जगाना है।लेकिन वर्तमान में यह दिन कई बार केवल प्रतीकात्मक कार्यक्रमों और घोषणाओं तक सीमित रह जाता है।जब तक समाज के हर स्तर पर व्यवहार में बदलाव नहीं आता, तब तक संरक्षण का उद्देश्य अधूरा रहेगा।पर्यावरण दिवस का महत्व तभी है जब यह औपचारिकता से आगे बढ़कर व्यक्तिगत और सामूहिक समर्पण में बदले। असली सच्चाई यही है कि बदलाव की शुरुआत हर व्यक्ति को खुद से करनी होगी,तभी पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य पूरा हो सकेगा
— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह