कविता

शादी तो आबाद करती है उनका जीवन

शादी बर्बादी होती है
मुरख है जो यह कहते है
शादी से तो घर घर होता है
वर्ना चिड़िया घर सा होता है
बच्चों को माँ जैसे संभालती है
पत्निया पतियों को संभालती है
माँ प्यार से घर को एक मंदिर बनाती है
पत्निया उस मंदिर को अपनी जतन से आगे बढाती है
माँ बेटे का ब्याह रचा बहुएँ घर लाती है
बहुएँ फिर माँ बनती है
यही क्रम चलता जाता है
घर प्यार से स्वर्ग सा रहता है
वर्ना शादी बिन तो उजड़ा सा होता है जीवन
चारदिवारी में लगता नहीं है मन
ना जाने क्यों मर्द शादी बर्बादी होती है कहते है
शादी तो आबाद करती है उनका जीवन |
++ सविता मिश्रा +

*सविता मिश्रा

श्रीमती हीरा देवी और पिता श्री शेषमणि तिवारी की चार बेटो में अकेली बिटिया हैं हम | पिता की पुलिस की नौकरी के कारन बंजारों की तरह भटकना पड़ा | अंत में इलाहाबाद में स्थायी निवास बना | अब वर्तमान में आगरा में अपना पड़ाव हैं क्योकि पति देवेन्द्र नाथ मिश्र भी उसी विभाग से सम्बध्द हैं | हम साधारण गृहणी हैं जो मन में भाव घुमड़ते है उन्हें कलम बद्द्ध कर लेते है| क्योकि वह विचार जब तक बोले, लिखे ना दिमाग में उथलपुथल मचाते रहते हैं | बस कह लीजिये लिखना हमारा शौक है| जहाँ तक याद है कक्षा ६-७ से लिखना आरम्भ हुआ ...पर शादी के बाद पति के कहने पर सारे ढूढ कर एक डायरी में लिखे | बीच में दस साल लगभग लिखना छोड़ भी दिए थे क्योकि बच्चे और पति में ही समय खो सा गया था | पहली कविता पति जहाँ नौकरी करते थे वहीं की पत्रिका में छपी| छपने पर लगा सच में कलम चलती है तो थोड़ा और लिखने के प्रति सचेत हो गये थे| दूबारा लेखनी पकड़ने में सबसे बड़ा योगदान फेसबुक का हैं| फिर यहाँ कई पत्रिका -बेब पत्रिका अंजुम, करुणावती, युवा सुघोष, इण्डिया हेल्पलाइन, मनमीत, रचनाकार और अवधि समाचार में छपा....|

One thought on “शादी तो आबाद करती है उनका जीवन

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया

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