कविता

गर वो मेरी जिंदगी में न आये होते

गर वो मेरी जिंदगी में
न आये होते
तो हम भी न
किसी गम के सताये होते
शाम सहर
उनकी ही यादों में
न गिन गिन कर
आंसू बहाये होते
गर मेरे कोमल मन को
वो एक कतरा भी न भाये होते
माना कि वो शान थे मेरी
धड़कते दिल में जान थे मेरी
पर धमनियों में लहू बन कर
न वो बहाये होते
गर वो मेरी जिंदगी में
न इस कदर आये होते
फूल था खिला हुआ
मुक्त चमन का फ़िज़ाओं में
न धुल थी न कोई परत
बहता था हवाओं में
टूट गया बिखर गया
वो झोंका वक़्त की आंधी का
हाय क्या कर गया
आज भी खिलता यूँ ही हवाओं में
गर न बेवफाई के
कांटे यूँ चुभाये होते
वो खुद हसे
और हमे रुलाये होते
गर मेरी जिंदगी में
न वो कभी आये होते
न वो कभी आये होते

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]

9 thoughts on “गर वो मेरी जिंदगी में न आये होते

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

    • महेश कुमार माटा

      धन्यवाद विजय जी।

  • लीला तिवानी

    प्रिय महेश भाई जी, बहुत बढ़िया.

    • महेश कुमार माटा

      आभार आपका।

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    आज भी खिलता यूँ ही हवाओं में

    गर न बेवफाई के

    कांटे यूँ चुभाये होते

    वो खुद हसे

    और हमे रुलाये होते

    गर मेरी जिंदगी में

    न वो कभी आये होते बहुत खूब .

    • महेश कुमार माटा

      आभार मान्यवर

  • अरुण निषाद

    क्या बात है

    • महेश कुमार माटा

      आभार मान्यवर

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