गीतिका/ग़ज़ल

नाम तेरे

नाम तेरे ख़ुमार हो जैसे
बेकरारी करार हो जैसे !!

तू मिला तो नसीब जागा है
अब तलक जां मजार हो जैसे !!

भूल सकते नहीं दुआओं में
याद आता हजार हो जैसे !!

रात आधी गुजर गई माना
तू अभी इन्तजार हो जैसे !!

है सिला तू कहाँ सदाओं का
जीत जाना भी हार हो जैसे !!

कैद तुझमे जवां कहानी है
हर्फ़ मेरे गुनाहगार हो जैसे !!

निर्मला”मुस्कान”

निर्मला 'मुस्कान'

निर्मला बरवड़"मुस्कान" D/O श्री सुभाष चंद्र ,पिपराली रोड,सीकर (राजस्थान)