कविता

दोहा मुक्तक………..

गंगा यमुना कह रहीं, याद करों तहजीब
हम कलकल बहते रहें, ढोते रहे तरकीब
अवरुद्ध हुई है चाल, चलूँ मैं शिथिल धार
सागर संग लहराऊँ, चलूँ किसके नशीब।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ