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आकुल केे नवगीत संग्रह ‘जब से मन की नाव चली’ का लोकार्पण

नाशिक। दिनांक 16 अक्‍टूबर, रविवार को महाराष्‍ट्र की पुण्‍यभूमि त्रयम्‍बकेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग, सिंहस्‍थ तीर्थ और दक्षिण की गंगा गोदावरी के तट पर बसे नाशिक के पूर्तकोटि सभागार में अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा (अहिसास) के पहले राष्‍ट्रीय हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मान एवं हास्‍य कवि सम्‍मेलन भव्‍य गरिमा के साथ सम्‍पन्‍न हुआ। इस समारेाह में विभिन्‍न प्रान्‍तों यथा, कर्नाटक, राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र, मध्‍यप्रदेश और उत्‍तर प्रदेश से पधारे साहित्‍यकारों को उनकेे द्वारा हिन्‍दी में की जारही सेवा को ध्‍यान में रखते हुए विभिन्‍न पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किया गया। इस अवसर पर कोटा के डा0 गोपाल कृष्‍ण भट्ट ‘आकुल’ केे सद्य प्रकाशित नवगीत संग्रह ‘जब से मन की नाव चली’ का लोकार्पण हुअा मंच पर उपस्थिति विद्वान् मनीषियों यथा भाभा एटोमिक रिसर्च परिषद  (बार्क) के वैज्ञानिक श्री विपुल सेन,

'अरकुल' के नवगीत संग्रह 'जब से मन की नाव चली' का विमोचन करते अतिथि
‘अकुल’ के नवगीत संग्रह ‘जब से मन की नाव चली’ का विमोचन करते अतिथि बायें से श्री विजय सप्‍पति (हैदराबाद), अध्‍यक्ष अहिसास श्री सुबोध मिश्र, मंडल प्रबंधक एलआईसी श्री प्रदीप शिनॉय, वैज्ञानिक (बार्क) श्री विपुल सेन, समारोह अध्‍यक्ष श्रीमती मनीषा अधिकारी, डाइरेक्‍टर एस.डब्‍ल्‍यू.एस. फाइनेंशियल सोल्‍यूशंस, डा0 रामसनेही लाल ‘यायावर’ (फिरोजाबाद), श्री रमेश यादव (मुंबई), डा0 आकुल, एक अन्‍य अतिथि.

श्री प्रदीप शैणे, वरिष्ठ  प्रबंध मंडल जीवन बीमा निगम, श्रीमती मनीषा अधिकारी, डाइरेक्‍टर,एसडब्‍ल्‍यूएस फाइनेंशियल सोल्‍यूशंस एवं सम्‍मानित किये जाने वाले अहिसास के अध्‍यक्ष श्री सुबोध मिश्र, सम्‍मानार्थियों  एवं लेखक ‘आकुल’ के करकमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर उपस्थित ‘अहिसास’ के सदस्‍यों व शहर के गणमान्‍य नागरिकों की उपस्थिति से कार्यक्रम गुंजायमान हो गया। साथ ही इस अवसर पर अहिसास की हिन्‍दी पत्रिका ‘सार्थक नव्‍या’ केे अक्‍टूबर के अंक ‘विदर्भ विशेषांक’ और अहिसास के प्रथम सम्‍मान समारोह की स्‍मारिका विद्याभारती, का भी विमोचन हुआ। इस अवसर पर डा0 आकुल द्वारा नवगीत संग्रह का परिचय देते हुए बताया गया कि यह पुस्‍तक सम्‍मानित पुस्‍तक ‘नवभारत का स्‍वप्‍न सजाएँँ’  और नवगीत संग्रह दोनों एक साथ प्रकाशित हुई हैं, नवगीत संग्रह आज के भारतीय परिवेश में व्‍याप्‍त विद्रूपताएँँ, विषमताओं पर जन जन केे मानसिक द्वंद्व का नवगीत के रूप में प्रस्‍तुतीीकरण है और उसका समाधान ले कर  गीत संग्रह ‘नवभारत का स्‍वर्ग सजाएँँ’ बनाया है। उन्‍होंने संक्षिप्‍त में परिचय को यह कह कर खत्‍म किया कि आज भारत में गली-गली में छोटी से छोटी समस्‍याओं पर विद्रोह जैसी स्थिति बनी हुई है, आज का  भारत, भारत नहीं रहा, महाभारत हो गया है, फिर भी मेरा भारत अपनी अक्षुण्‍ण संस्‍कृति और सभ्‍यता के बलबूते खुशहाल है। उन्‍होंने अंत में अपने नवगीत संग्रह का एक गीत सुनाया- ”जोश अभी भी नहीं हुआ कम,  देश मेरा खुशहाल है”  श्रोताओं से दाद बटोरी और वाणी को विराम दिया।

प्रस्‍तुति- डा0 आकुल

डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'

डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ जन्म तिथिः18 जून 1955, महापुरा, जयपुर, राजस्थान. शिक्षाः एम0काॅम, डी0टी0पी0 (कम्प्यूटर) साहित्यिक यात्राः 1975 से आज तक विभिन्न प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में लेख, कवितायें, कहानी, लघुकथायें, गीत, नवगीत, नाटक आदि प्रकाशित एवं कई संकलनों में प्रकाशन। 1993 से 2008 तक लगभग 6000 वर्ग पहेलियाँ अमर उजाला व अन्य प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित. प्रकाशित कृतियाँः 1. प्रतिज्ञा (1995)- (1995)- महाभारतीय पृष्ठभूमि पर महानायक ‘कर्ण’ पर आधारित नाटक, 2. पत्थरों का शहर पत्थरों का शहर पत्थरों का शहर (2008)- (2008)- हिन्दी गीत ग़जल और नज़्में, 3. जीवन की गूँज (2010)- (2010)- काव्य संग्रह 4. अब रामराज्य आएगा!! (2013)-लघुकथा संग्रह, 5. नवभारत का स्वप्न सजाएँ (2016) गीत संग्रह 6. जब से मन की नाव चली (2016)- नवगीत संग्रह। प्रमुख संकलनः(कुल 10) 1. श्री मुकेश नादान सम्पादित ‘साहित्यकार-5’ (काव्य संग्रह) में 5 साहित्यकारों में सम्मिलित 2. त्रिलोक सिंह ठकुरैला सम्पादित ‘कुण्डलिया कानन (कुण्डलिया छंद संग्रह). सम्पादनः 13 पुस्तकों का सम्पादन. सम्मान/सम्मानोपाधिः पं0 बृजबहादुर पाण्डेय स्मृति सम्मान (बहराइच), शब्द श्री (उज्जैन), काव्य केसरी, विवेकानन्द सम्मान (कोलकाता), कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर सारस्वत साहित्य सम्मान (कोलकाता), साहित्य श्री, ‘साहित्य मार्तण्ड, साहित्य कला रत्न, साहित्य शिरोमणि, भारतीय भाषा रत्न (भागलपुर) , साहित्य मनीषी, कलम कलाधर, शब्द भूषण (उज्जैन), हिन्‍दी साहित्‍य भूषण (साहित्य मंडल, नाथद्वारा), सामाजिक संस्‍था 'तैलंगकुलम्', जयपुर द्वारा प्रेमचन्द्र गोस्वामी स्मृति सम्मान (जयपुर) और अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा (अहिसास), नाशिक द्वारा विद्योत्‍तमा साहित्‍य सम्‍मान, 2016. अधिकृत उपाधिः विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर (बिहार) से विद्या वाचस्पति. सम्प्रतिः राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा से अनुभाग अधिकारी के पद से 30 जून, 2015 को सेवानिवृत्त, स्वतंत्र साहित्य यात्रा में संलग्न. वर्तमान में नवम्बर 2010 से ई-पत्रिका ‘अभिव्यक्ति’ (http://abhivyakti-hindi.org) एवं अक्टूबर 2015 से राजस्थान पत्रिका के सांध्य दैनिक (जयपुर) ‘न्यूज टुडे’ में हिन्दी वर्गपहेली निरन्तर प्रकाशित. स्थाई निवासः ‘सान्निध्य’, 817, महावीर नगर-2, कोटा (राजस्थान)-324005, भारत. ईमेलः [email protected] ; [email protected] ब्लाॅगः http://saannidhya.blogspot.com दूरभाष/मोबाइल: 0744-2424818/09462182817