असहजता
दरवाज़ा खोलते ही सोनल ने सामने पापा को देखा तो उनकी छाती से लग गई. पापा उसके इस नए फ्लैट में पहली बार आए थे. चाय नाश्ते के बाद वह उन्हें पूरा फ्लैट दिखाने लगी. फ्लैट दिखाते हुए वह बड़े उत्साह के साथ सभी चीज़ों का बखान कर रही. फ्लैट दिखा लेने के बाद उसने मेड को डिनर के लिए कुछ आदेश दिए फिर बैठ कर पापा के साथ बातें करने लगी.
बातें करते हुए उसके पापा ने पूंछा “अभी तक दामाद जी घर नही आए.”
“पापा बिज़नेस इतना बढ़ गया है कि कई बार ऑफिस में ही रुकना पड़ता है.” सोनल ने सफाई दी.
उसके पापा ने आगे बढ़ कर उसके सर पर हाथ रख दिया. कुछ क्षणों तक पिता पुत्री खामोश रहे.
“अभी तुम्हारे पापा हैं.” उसके पापा ने स्नेहपूर्वक कहा.
सोनल की आंखें नम हो गईं.