कविताक्षणिका

प्रेरणा

प्रेरणा लेना चाहूं तो
प्रकृति का हर सृजन प्रस्तुत है,
मुझे प्रेरणा देने को.
लंबे-लंबे डग भरकर चलते हुए किसी लंबे व्यक्ति को
तेज़ी से चलते देखकर
प्रेरणा मिलती है लंबे डग भरकर चलने की,
किसी लंगड़ाते हुए व्यक्ति को
दौड़ते हुए देखकर
प्रेरणा मिलती है दौड़ते रहने की,
किसी मुरझाए हुए फूल को
पुनः खिलते हुए देखकर
प्रेरणा मिलती है पुनः-पुनः खिलते रहने की,
रेस में गिरकर हारते हुए व्यक्ति को
रेस जीतते हुए देखकर
प्रेरणा मिलती है कभी हार न मानते रहने की.
इसी प्रेरणा ने मुझे शक्ति दी है
किसी भी हाल में
हर परिस्थिति का सामना करते रहने की.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244