गीतिका/ग़ज़ल

अगर मेरी वफाओं में मिलावट आ गयी होती

अगर मेरी वफाओं में मिलावट आ गयी होती
यक़ीनन मेरी फ़ितरत में बनावट आ गयी होती

कभी देखा जो होता आपने मेरी तरफ हँसकर
मेरे सूखे जिगर में कुछ तरावट आ गयी होती

गिले शिकवे मसाइल सब भुलाकर हम मिले होते
तो फिर चाहत के रिश्तों में कसावट आ गयी होती

अगर महसूस करते आप हालाते-मुहब्बत को
जहां की नफ़रतों में भी गिरावट आ गयी होती

मुझे मंज़िल नहीं मिलती कभी रस्ते नहीं खुलते
अगर ज़ज़्बात में मेरे थकावट आ गयी होती

मेरे हिस्से नहीं होती अगर ये आपकी यादें
यक़ीनन ज़िंदगानी में रुकावट आ गयी होती

माही/जयपुर (8511037804)
20 अप्रैल, 2017

महेश कुमार कुलदीप

स्नातकोत्तर शिक्षक-हिन्दी केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-3, ओ.एन.जी.सी., सूरत (गुजरात)-394518 निवासी-- अमरसर, जिला-जयपुर, राजस्थान-303601 फोन नंबर-8511037804