आहिस्ता आहिस्ता दर्द बढ़ता है
आहिस्ता आहिस्ता
दर्द बढ़ता है
दिल के किसी कोने में।
यादों की पुरवाई
आकर मुझसे कहती है
तन्हाई के मौसम में॥
आहिस्ता आहिस्ता
दर्द बढ़ता है
दिल के किसी कोने में।
यादों की पुरवाई
आकर मुझसे कहती है
तन्हाई के मौसम में॥
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बहुत अच्छी कविता. कम शब्दों में गहरी बात ! यही तो कविता का सौन्दर्य है.
बहुत-बहुत धन्यवाद विजय जी प्रोत्साहन के लिए। प्रयास तो किया है जो महसूस किया उसको आप सभी गुणीजन के सामने प्रस्तुत कर सकूँ।
छोटी सी कविता में ढेर सी बातें कह दीं. ग्लास में महान्सागर बंद कर दिया .
प्रोत्साहन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद गुरमेल सिंह भमरा लंदन जी