सबक सिखाना ही होगा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पथ में काँटे लाख सही पर कदम बढ़ाना ही होगा
रुकने से कब मिलती मंजिल चलते जाना ही होगा
..
वार पीठ पर करने वाले बहुत मिलेंगे दुनिया में
खुद की रक्षा की खातिर हथियार उठाना ही होगा
..
मानव ही मानव का दुश्मन,कैसा कलयुग आया है
नफरत की दीवार प्यार से हमें गिराना ही होगा
..
जंगल काटे इस धरती का दोहन खूब किया हमनें
पेड़ लगाकर अब धरती का कर्ज चुकाना ही होगा
..
संघर्षों का नाम जिंदगी , इम्तहान हैं पग पग पर
हँसते हँसते लेकिन हर दस्तूर निभाना ही होगा
..
जात-पाँत और धर्म की खातिर जो करते हैं नित दंगे
राष्ट्रधर्म सबसे पहले है उन्हें बताना ही होगा
..
उठो देश के वीर सपूतों वतन बुलाता है तुमको
अपने देश की माटी का अब कर्ज चुकाना ही होगा
..
तुम्हीं राम हो तुम्हीं कृष्ण हो कर्णधार तुम भारत के
अपने भारत की भूमि को स्वर्ग बनाना ही होगा
..
रहते हैं जिस देश में उसको ही आँखे दिखलाते जो
रमा उन्हें उनकी भाषा में सबक सिखाना ही होगा
रमा प्रवीर वर्मा
नागपुर (महाराष्ट्र)