कभी आया नही
तेरे घर मिलने कभी आया नहीं
और तूने भी मुझको बुलाया नहीं
दिल की बात तूने दिल में ही रखी
दिल की बात मैंने भी बताया नहीं
दिल तुझको ये अपना देकर सनम
फिर दिल ये किसी से लगाया नहीं
रात भर चाँद तारों से बातें करी
बिन तेरे सपना मैंने सजाया नहीं
याद आए तेरे संग बिताए वो पल
बीता लम्हा गुजर कर आया नहीं
दीप जलता रहा मैं प्यार करता रहा
संगदिल था वह पिघल पाया नहीं
चाँद पर इंसां पहुँच गया है शिवेश
चाँद तारों को तोड़ कोई लाया नहीं
— शिवेश हरसूदी