कविता

आबोहवा

शहर की आबोहवा
बहुत खराब है साहब,
बाहर निकलिए तो
जरा सावधान रहिए,
अपने आसपास तो
पैनी निगाह रखिए,
जाने कौन किधर से
गिद्ध बन टूट पड़े,
तब आप भौचक्के
रह जायें खड़े खड़े।
अच्छा है आबोहवा का
आंकलन कर लीजिए
बैंक से पैसे निकालना है
तो सावधानी जरूरी है,
बेटी को स्कूल भेजना जरूरी है
पर उसे सावधानी, सतर्कता की
सीख देना और भी जरूरी है।
सड़क पर निकलना जरूरी है
मगर बचाव खुद जरूरी है,
जाने कब कौन किधर से
ठोक कर चला जाये।
आबोहवा का हाल बुरा है
तो क्या करें साहब,
अब तो इसी हाल में
रहना भी मजबूरी है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921