लघुकथा

बेचारा

कोरोना का मारा बेचारा 2020 खिसकने को था. साल का आकलन शुरु हो चुका था. सुर्खियां आ रही थीं-

”सोनू सूद के नाम एक और सम्मान, एशिया के 50 सेलेब्स की लिस्ट में टॉप पर बनाई जगह”

सेलेब्स की लिस्ट में 100 शक्तिशाली महिलाओं में निर्मला सीतारमन का नाम भी आ चुका था.

कला के क्षेत्र में भी आकलन चल रहा था. अखिलेश को भी अपने चित्र के टॉप पर जगह बनाने की उम्मीद थी. बेमिसाल प्रतिक्रियाएं जो आ रही थीं.

”चित्र क्या है संवेदनाओं का समंदर है!” लिखा जा रहा था.

”प्रेम की परख कोई इस चित्रकार से सीखे! हाथ में पेंसिल, लेकिन हाथ लहूलुहान! यह लहूलुहान हाथ नहीं चित्रकार का दिल दिख रहा है. लगता है बड़ी गहरी चोट खाई है बंदे ने.”

”चित्र क्या है संघर्ष की जीवंत प्रतिमूर्ति है!”

”चित्र में गिरा हुआ व्यक्ति भुखमरी का मारा है या कोरोना से पीड़ित!”

”इसे न जीने का अधिकार मिला है, न मरने की मोहलत!”

इसी तरह की और भी जाने क्या-क्या सैकड़ों प्रतिक्रियाएं. अखिलेश के विचार थमने में ही नहीं आ रहे थे.

तभी सामने एक और खबर की सुर्खी आ गई-
‘दिल बेचारा’ से IPL तक, 2020 में सबसे ज्यादा सर्च हुए ये टॉपिक”

”इन टॉपिक्स में भी मेरा चित्र स्थान नहीं बना पाया! बेचारा!”

”चलो इस बार बेचारा रह गया, तो क्या 2021 तो चारा डालने के लिए आ ही रहा है न!”

वह एक और बेहतरीन नया चित्र बनाने के विचार में मग्न हो गया.

 

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “बेचारा

  • डॉ. सदानंद पॉल

    2020 तो नहीं हारा….
    हम ही हारे !
    2021 जो हो,
    दीदी जी को
    अग्रिम शुभकामनाएँ !

    • लीला तिवानी

      प्रिय सदानंद भाई जी, रचना पसंद करने, सार्थक व प्रोत्साहक प्रतिक्रिया करके उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन. आपको भी 2021 की अग्रिम शुभकामनाएँ. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    चित्र बेचारा रह गया तो क्या, अखिलेश की उम्मीद तो कायम रही. इस बार आस न रही अगली बार ही सही.

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