कविता

उम्मीदों की पिटारी लिये !!

उम्मीदों के माथे पे
कभी काला टीका भी लगा देना
बड़ा बेरोक-टोक ये
इसकी उसकी आँखों में
उतर जाती हैं
बन के अपनी सी !
….
जाने की तैयारी में है
दिसंबर 20 का
उम्मीदों की पिटारी लिये
जनवरी 21 की
दस्तक़ देने को आतुरता से
शुभ क्षण, शुभ दिन को
साथ लिए शुभकामनाओं भरा
शुभ बिहान साथ लाई है !!!

सीमा सिंघल 'सदा'

जन्म स्थान :* रीवा (मध्यप्रदेश) *शिक्षा :* एम.ए. (राजनीति शास्त्र) *लेखन : *आकाशवाणी रीवा से प्रसारण तो कभी पत्र-पत्रिकाओ में प्रकाशित होते हुए मेरी कवितायेँ आप तक पहुँचती रहीं..सन 2009 से ब्लॉग जगत में ‘सदा’ के नाम से सक्रिय । *काव्य संग्रह : अर्पिता साझा काव्य संकलन, अनुगूंज, शब्दों के अरण्य में, हमारा शहर, बालार्क . *मेरी कलम : सन्नाटा बोलता है जब शब्द जन्म लेते हैं कुछ शब्द उतरते हैं उंगलियों का सहारा लेकर कागज़ की कश्ती में नन्हें कदमों से 'सदा' के लिए ... ब्लॉग : http://sadalikhna.blogspot.in/ ई-मेल : [email protected]