राजनीति

कितनी सार्थक रही भारत के लिए गणतांत्रिक प्रणाली

भारत में आज के दिन ही 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ.गणतंत्र का शाब्दिक अर्थ है गण का तंत्र, मतलब आम आदमी का शासन.गणतंत्र का मतलब है देश में रहने वाले लोगों की सर्वोच्च शक्ति और सही दिशा में देश के नेतृत्व करने की खातिर  अपने प्रतिनिधि चुनने के अधिकार सिर्फ जनता के पास है. उपरोक्त सारे गुण पाए जाने के कारण भारत भी एक गणतंत्र देश है.
गणतंत्र में राष्ट्र प्रमुख निर्वाचित  होता है:-
 शिक्षक देवेन्द्र कुमार सिन्हा बताते हैं गणतांत्रिक प्रणाली में राष्ट्र का मुखिया वंशानुगत नहीं हो सकता है.वह सीधे तौर पर या परोक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचि किया जाता है.आधुनिक अर्थों में गणतंत्र का मतलब सरकार के उस रूप से है जहां राष्ट्र का मुखिया राजा नहीं होता है.मगर यह भी कड़वी सच्चाई  है कि हमारे देश का संविधान आज तक व्यावहारिक रूप में पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाया है .
सबसे लंबा है भारत का संविधान:-
 भारत में दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है.भारतीय संविधान में देश के हर एक नागरिक को अपने अधिकार और कर्तव्य का स्पष्ट व्याख्या किया गया है जिसकी बदौलत हर नागरिक पूरी स्वतंत्रता और सम्मान के के साथ अपनी जिंदगी जी सकता है.
लेकिन फिर भी आज ये अफसोस कहना पड़ रहा है कि कुछ लोगों के पास सारे संवैधानिक अधिकार तो है पर उन अधिकारों के साथ जीवन जीने का अधिकार नहीं है.
आज भी  देश जूझ रहा है समस्याओं से :-
देश में अभी भी अपराध, भष्टाचार, हिंसा, आंतकवाद, जैसी चीज़ों के सामने आम नागरिक घुटने टेक देता है.भले ही इनसे लड़ने की कोशिश जारी है लेकिन अभी भी हमें आशातीत सफलता नहीं मिल पाया है. हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष की बात पर जोर देते हुए समानता की बात करता है.एक ऐसे समाज के निर्माण की बात करता है जिसमें सभी देशवासी समान हों, सब को अपना अपना हक मिले लेकिन हमारा देश आज  मजहब के नाम पर  जाति के नाम पर  वर्ग के नाम पर  समुदाय के नाम पर बांट दिया गया है.आज भी देश भूख गरीबी से उबर नहीं पाया.आज भी फुटपाथ पर  गणतंत्र ठिठुरता मिल जाएगा.देश के राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक में देश की बहू बेटियां सुरक्षित नहीं है. वंचितों पीड़ितों को आज भी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पा रहा.
भ्रष्टाचार ने गणतंत्र की जड़ पर किया प्रहार :-
घूसखो और भ्रष्ट प्रवृत्ति के लोग दीमक की तरह हमारे सिस्टम को खा रहे हैं.भ्रष्ट लोगों वजह से लोग अपने परिजनों की लाश अपने कंधों पर ढोने को विवश दिख जाते है.गुनाहगारों को सलाखों के पीछे भेजने के बजाय हमारा कानून व्यवस्था मूकदर्शक बन गया है.
गण को नहीं मिला उसके हिस्से का हक :-
गणतंत्र का मतलब है कि गण की इच्छा के अनुसार तंत्र फैसले ले.मगर क्या वास्तव में गण के मन मुताबिक फैसले लिए जा रहे हैं. जब हम देश के तंत्र का अवलोकन करते हैं तो पता चलता है  यहां नेताओं का तंत्र तो मजबूत हुआ है लेकिन जनता का नहीं. वैसे जनता का तंत्र कुछ जागरूक तो हुआ है लेकिन मजबूत नहीं.सत्ता पाने के लिए देश में नेताओं द्वारा गैर कानूनी गैर संवैधानिक  तरीके  यथा साम, दाम, भेद और दंड हर विधि को आजमाया जा रहा है.भोली भाली जनता ने  हमेशा सत्ता चाभी उसी को सौंपी जिसने गरीबी को बात की, दबे कुचले लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करने की बात की.फिर भी गरीबी अमीरी के बीच खाई घटने के बजाय सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती ही जा रहा है.संविधान में दर्ज लोकतंत्र की बुनियाद की धज्जियां जमकर उड़ाई गई हैं. आपातकाल का दौर भी देश ने देखा और समय-समय पर अघोषित सेंसरशिप भी.
बुनियादी सुविधाओं का आज भी है टोटा:-
आज देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी तक बिकने लगा. खनिज संसाधनों और वन संसाधनों की लूट मची हुई है. भूखी जनता का पेट भरने का नारा दिया जाता है,पर लोगों ने सत्ता को चुनने वालों को धर्म, जाति, अमीर, गरीबों, में बांट दिया है. जिससे कि उनकी सत्ता पर कोई आंच ना आए.व्यक्ति बदल जाता है पर सत्ता एक वोट के सौदागर से दूसरे वोट के सौदागर के पास चला जाता है. गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं पार्टियों के मैनेफेस्टों से बाहर कभी निकलती ही नहीं. सत्ताधारियों ने पूंजीपतियों को निशाने पर लेकर गरीबों की बात की लेकिन वास्तव में जिस गरीबी हटाने के लिए नारा सत्ता पाने वाले लोग देते हैं.उसके प्रचार प्रसार में लाखों करोड़ों यूं ही फूंक दिए जाते हैं.चुनावों के दौरान  राजनीतिक पार्टियां कैसे पानी की तरह पैसा बहाती हैं हम सब जानते हैं.
गण तंत्र में सुधार की गुंजाइश:-
हमारे गण तांत्रिक प्रणाली में लगातार सुधार की गुंजाइश है.एक संपूर्ण क्रांति आंदोलन की तरह जन आंदोलन की जरूरत है.धर्म और जाति पाती से ऊपर उठकर राष्ट्र निर्माण की बात करने की जरूरत है, गरीब,वंचितों के बारे में सोचने की जरूरत है .भारत में में सच्चा गणतंत्र तभी धरातल पर उतर पाएगा जब हर नागरिक अपना कर्त्तव्य सच्ची निष्ठा से निभाएगा.
— गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम

गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम

शिक्षक और सामाजिक चिंतक देवदत्तपुर पोस्ट एकौनी दाऊदनगर औरंगाबाद बिहार पिन 824113 मो 9507341433