पत्नी
तेरा मिजाज़ भी
बरसात सा है
पता नहीं
कब झमाझम
बरस जाए
और कब बरस कर निकल जाए
कभी आंधी सी चल पड़े
कभी मंद पड़ जाएं
बहुत मुश्किल है समझना तुझको
कब धूप
कब छांव हो जाए
*
तेरा मिजाज़ भी
बरसात सा है
पता नहीं
कब झमाझम
बरस जाए
और कब बरस कर निकल जाए
कभी आंधी सी चल पड़े
कभी मंद पड़ जाएं
बहुत मुश्किल है समझना तुझको
कब धूप
कब छांव हो जाए
*