अंग्रेजीआपा हिन्दीआई !
रोमांटिक में वे ‘रोमांच’ पैदा करते अक्सर ही नज़र आते ! उनसे यह सब सीखने का मुझे भी दीदार हुआ। यह इत्तेफ़ाक़न नहीं था, अपितु प्रायोजित था । आजादी से पहले ऐसे लोगों का भारत से ‘ब्रिटेन’ जाने का पुराना रिवाज़ रहा है।
अंग्रेजी में कमजोर छात्र उनके मज़ाक के केंद्रबिंदु में होते ! तभी तो वह उनलोगों से काफी frank बातें करते थे, जिनकी अंग्रेजी ज्ञान इत्तेफ़ाक़न नहीं, मज़बूतन लिए होती ! जिनकी जान अंग्रेजी में बसती हैं, उन्हें वे जी-जान से मानते थे और बाकी स्टूडेंट्स उनके टॉर्चर क्लास में इस तरह टॉर्चर झेलते कि छात्र पैंट में ही सू-सू कर दें !
अंग्रेजी गुरु ने हिन्दीआई गुरुज्ञान दिए !