हे लम्बोदर !
हे लम्बोदर !
सर्वप्रथम तुमको नमन
रिद्धि-सिद्धि प्रदाता
खाली झोली भरता ।
शिव पार्वती नंदन
तुम्हारी चरणरज चंदन ।।
जय-जय हे गजानन !
तेरी जगगाता महिमा मंडन
प्रभु तुम्हारा वंदन-वंदन ।
उमासुत उर बीच तस्वीर
नाम लेत मिटते सर्व क्लेश
धर्म के रक्षक पुत्र महेश ।
गिरिजा के प्रिय लाल
शिव के अभिमान
बना दो हमारी भी पहचान ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा