कहानी

माँ बनने की कीमत

काव्या नहाकर निकली और गीले बालों को आकाश के मुँह पर झटकते बोली, क्या बात है मिस्टर आकाश आज-कल हमारे उपर आपका ध्यान ही नहीं जाता? मेरी समझ में नहीं आ रहा मेरा नज़रिया बदल गया है, या आपका प्यार बदल गया है। एक वक्त था मेरे बाथरुम से निकलते ही मुझे बाँहों में भरकर तुम पागलों की तरह प्यार बरसाते थे, मेरे एक-एक अंग की तारीफ़ में कविता लिख देते थे, अब तो जैसे मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं? क्या अब कोई ओर बस गया है दिल में, या मुझसे मन भर गया।
आकाश गुस्सा होते बोला ऐसा कुछ नहीं तुम खुद ही अपने आप को आईने में देखो, पहले ककडी सी कोमल थी अब कद्दू सी मोटी हो गई हो। औरतें शादी के बाद भी अपने आप को फीट रखती है। तुम्हें देखकर मन में अब कोई भाव ही नहीं जगते क्या ख़ाक़ कविता लिखूँ। यार तुम पहले ढंग का फ़िगर बना लो फिर मेरे करीब आना।
काव्य जो अभी दो महीने पहले ही माँ बनी थी, ज़ाहिर सी बात है प्रेग्नेंसी में लड़कियों का वजन बढ़ जाता है। काव्या सोचने लगी, तो क्या देह के बढ़ने, घटने के साथ साथी के एहसास भी घटते, बढ़ते है? काव्या की आँखों में आँसूं आ गए पर चुप कैसे रहती।
काव्या आकाश को नफ़रत भरी नज़रों से देखते हुए बोली, ओह तो ये बात है। आपको मेरा बेडौल हो जाना दिखा पर उसके बदले आपको मैंने दुनिया का सबसे सुंदर तोहफ़ा आपका बेटा दिया उसका कोई मोल नहीं। याद कीजिए मिस्टर शादी की शुरुआत में मेरा शरीर कितना सुंदर, चिकना और तराशा हुआ था, जिस पर आप फ़िदा थे। मैं आज भी वही सीधी-सादी, भोली-भाली, खूबसूरत काव्या हूँ जिसे आपने बेतहाशा प्यार किया था। अब फ़र्क सिर्फ इतना है कि मैंने तुम्हारे बच्चे को जन्म दिया। मेरे लिए भी खूबसूरती बहुत कीमती चीज़ थी, पर हमारे बच्चे के बदले ये कीमत चुकाना मुझे मंज़ूर है।
शिकायत न करें यह बढ़ी हुई चर्बी मेरी भी पसंद नहीं है, पर एक माँ का स्नेह मुझे इन सब बातों से आंखें मूंद लेने पर मजबूर करता है। मेरी एकमात्र चिंता मेरा बच्चा और एक मात्र खुशी आपके चेहरे की रौनक है। हाँ ये जो स्ट्रेच मार्क मेरे पेट पर उभर आए है, वह आपको शायद अरुचिकर लगते होंगे, पर याद रखें कि यह पेट कभी आपके ही बच्चे का नीड़ था, जिसने आपके बच्चे को 9 महीने तक दर्द, थकान और वजन के साथ गले लगाया, ताकि बच्चे को उसके जन्म तक महफ़ूज़ रखा जाए।
हाँ मेरी छाती का उभार कुछ लुढ़क गया है, पर मुझे इसका कोई अफ़सोस नहीं हमारे बच्चे का जीवन पायन का ज़रिया है जिस पर ऐसे सौ तन कुर्बान। बेशक मैं कुछ समय बाद वापस पहले जैसी बन जाऊँगी, पर फिलहाल हमारा बच्चा मेरा दूध पी रहा है और ऑपरेशन भी हुआ है, तो न मैं डायटिंग कर सकती हूँ, न हेवी व्यायाम उसके लिए समय है।
आप मेरे वजूद से या मन की खूबसूरती से प्यार नहीं करते, आपके लिए मेरा तन मायने रखता है। मुझे जो अभिमान था आपके प्यार पर वो बर्फ़ की तरह पिघल कर तरल ज़हर सा बन गया है। चाहे तो आप मुझे छोड़ सकते है, मेरी ओर से आज़ाद है, आप ढूँढ लेना कोई हसीन सुंदरी जो ताउम्र कुँवारी कोख रखकर हंमेशा के लिए कमसीन रहने को तैयार हो, क्यूँकि न आप बाप कहलाने के लायक हो और ना ही पति। काश पुरुष को भी ईश्वर ने ये वरदान दिया होता, एक बच्चे को पत्नी जन्म दे, दूसरे को पति फिर मैं भी तंज कसती आपके बढ़े हुए वजन पर और तब आपको महसूस होता नज़र अंदाज़गी का दर्द।
काव्या की बात सुनकर आकाश को हकीकत समझ में आ गई, अपनी गलती और सोच पर शर्मिंदा होते काव्या से बोला काव्या प्लीज़ हो सके तो मुझे माफ़ कर दो। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ तुम जानती हो, तुम्हें नखशिख सुंदर देखने की आदत जो है पर अब समझ गया हूँ, तन की सुंदरता से बढ़कर मन की सुंदरता मायने रखती है।
काव्या ने बहुत सोचने के बाद आकाश को माफ़ कर दिया, पर एक ख़लिश का बीज मन में पनप गया। काव्या सोचने लगी क्या मेरी जगह आकाश होता और मैं उसके साथ ऐसा व्यवहार करती तो माफ़ कर पाता। शायद नहीं, पर अपनी सोच को विराम देते काव्या अपने बच्चे को दूध पिलाने चली गई, और आकाश मनोमंथन से घिरा अपने बर्ताव के विश्लेषण में डूब गया, और एक निष्कर्ष पर पहुँचा की माँ बनने का सुख ईश्वर ने औरत को ही क्यूँ दिया। औरत अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर गुज़रने को तैयार होती है। सुंदरता औरत का गहना और औरत की कामना होती है, जिसे खोकर भी एक माँ खुश होती है। माँ बनने की कितनी बड़ी कीमत चुकाती है। यह एक स्त्री ही कर सकती है।
— भावना ठाकर ‘भावु’ 

*भावना ठाकर

बेंगलोर