आत्मविश्वास तनावमुक्त परीक्षा की कुंजी है
कोविड-19 महामारी से वैश्विक स्तरपर पिछले दो वर्षों से, किसी भी देश का भविष्य तय करने वाले शिक्षा क्षेत्र पर बहुत विपरीत असर पड़ा क्योंकि उस अवधि में यह क्षेत्र वैश्विक स्तरपर ठप्पा रहा था। विदेशियों सहित अपने मूल देश के बड़े शहरों से भी विद्यार्थी अपने अपने पैतृक घरों में वापस आकर एक लंबी अवधि तक घर बैठे रहे, फ़िर ऑनलाइन क्लासेस से पढ़ाई की,10वीं 12वीं की परीक्षाओं में उनका पिछले प्रदर्शन के आधार पर नतीजा भी निकला और स्वास्थ्य क्षेत्र ने बड़ी सफलता अर्जित कर टीकों को विकसित किया!! जनता को दोनों डोज़ लगाकर महामारी पर नियंत्रण पाने में सफलता की ओर अग्रसर हैं।
साथियों बात अगर हम वर्तमान परिपेक्ष में स्कूल कॉलेजों की ऑफलाइन क्लासेस और चल रहे परीक्षाओं के दौर की करें तो पिछले दो सालों के बाद विद्यार्थी अलग-अलग स्तर पर अलग -अलग क्लासेस की फ़रवरी 2022 से ऑफलाइन परीक्षाएं दे रहे हैं। स्वभाविक ही होगा कि इतने लंबे अरसे के बाद मुख्य फाइनल ऑफलाइन परीक्षाओं को फेसकरना किसी अति गंभीर तनाव से कम नहीं!!! क्योंकि हर विद्यार्थी की चाहत,न केवल पास होने की रहती है अपितु अच्छे, बहुत अच्छे, टॉप टेन रैंक में आने की भी रहती है!!! इसलिए स्वाभाविक है कि विद्यार्थी तनावग्रस्त होगा ही!!
साथियों परंतु मेरा मानना है कि परीक्षा में थोड़ा सा तनाव हमें सक्रिय, प्रेरित और हमारा ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है जबकि पूर्ण तनावग्रस्त होना एक गंभीर मामला है जो हमारे स्वास्थ्य और बौद्धिक क्षमता, सोच को कम कर देता है और मन में नकारात्मक के भाव उत्पन्न हो जाते हैं जो हमारे परीक्षा के प्रदर्शन में रुकावट पैदा करते हैं उत्तर लिखते समय हमें कंफ्यूज कर देते हैं और हम सही उत्तर लिखनें की बजाय तनावग्रस्त मन से गलत उत्तर लिख देते हैं। हालांकि हमें उसका सही उत्तर अच्छी तरह मालूम था!!!
साथियों वर्तमान परीक्षाओं के दौरमें विद्यार्थियों को संयमता सकारात्मकता और सबसे महत्वपूर्ण अस्त्र आत्मविश्वास का प्रयोग करना चाहिए जो तनाव मुक्त परीक्षाओं की कुंजी भी है!!! जब हमारे पास आत्मविश्वास होगा तो हम सही दिशा में आगे बढ़ेंगे हमें अपनें अध्ययन को एक सामान्य रुचि लगाव, किसी कहानी, नाटक, पिक्चर, चुटकुले, सामान्य सकारात्मक हंसी मजाक के द्वारा हमारी किसी पसंदीदा सकारात्मक शौक से जोड़कर उस विषय का पठन करना चाहिए ताकि तकनीकी विषय वस्तु की सेंट्रल पॉइंट को पकड़कर उसकी विस्तृत विषय वस्तु को हम अपने वैचारिक क्षमता से उसका सटीक विस्तुतिकरण अपने शब्दों में कर सकें जिससे हो सकता है कि हमारी पाठ्य पुस्तकों में जो विस्तृत वर्णन है हम उससे भी अच्छा विस्तृतवर्णन कर सकें क्योंकि हमारी बौद्धिक क्षमता विश्व प्रसिद्ध है और आज की पराकाष्ठा में युवाओं की नित्य नई समावेशित सोच वैचारिक दृष्टिकोण, नवाचार, नवोन्मेष, अविष्कार, अद्भुत सकारात्मक परिणामों में वैश्विक स्तरपर आगे हो रहे हैं जो हमारे लिए भविष्य के शुभ संकेत है।
साथियों बात अग रहम आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच की करे तो, सफलता की एकमात्र कुंजी आत्मविश्वास और आपका अपनी तैयारी पर भरोसा है। यह ज्ञात रहे कि आपने अपनी क्षमताओं के अनुसार मेहनत की है और आपको अपनी तैयारी पर भरोसा है। घबराहट/और दिल की तेज़ होती धड़कन को एक गहरी सांस लेने से कम किया जा सकता है इसीलिए इस प्रकार के उपायों का प्रयोग करें| चिंताओं, भारी भावनाओं और ध्यान केंद्रित करने जैसे कार्योंपरबायोमैट्रिकली गहरी सांस लेना कारगर सिद्ध हुआ हैं।सभी नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों के साथ बदलें। उदाहरण के लिए, परीक्षा में खराब प्रदर्शन के परिणामों के बारे में सोचने के बजाय ये सोचें कि यदि आप परीक्षा बहुत अच्छे अंकों से प्राप्त कर लेते हैं तो क्या होगा| अपने आप को बताने का प्रयास करें कि मैं मेहनती हूँ, मैं साहसी हूँ, मैं यह कर सकता हूँ, या सब कुछ अच्छा ही होगा। इस तरह आप अपनी सोच से नकारात्मकता को बाहर करने, मानसिक रूप से अधिक स्वास्थ्य होने और अपनी खुशहाली बढाने में सक्षम होंगे।
साथियों बात अगर हम वर्तमान परीक्षाओं के दिनोंमें अभिभावकों की करे तो, अक्सर एेसा होता है कि परीक्षाओं का भूत केवल बच्चों पर ही नहीं अपितु उनके माता-पिता पर भी सवार हो जाता है। कुछ अजब-सा तनाव शुरू हो जाता है। कुछ बच्चे पास होने के लिए और कुछ अपनी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए तो कुछ माता-पिता व अध्यापकों की उम्मीदों को पूर्ण करने के लिए, कुछ डर से तो कुछ आत्मविश्वास की कमी के कारण तनाव से घिर जाते है। बच्चों के इस तनाव को कम करने की कुंजी उनके माता-पिता के हाथों में भी है।
साथियों बात अगर हम अभिभावकों की एक सामान्य सोच की करें तो, अभिभावकों को यह समझना आवश्यक है कि सभी बच्चे एक समान नहीं होते, सभी की योग्यता व बुद्धि का स्तर एक जैसा नहीं होता, सभी बच्चों की पढ़ाई में रुचि एक समान नहीं होती, सभी की प्रेरणा व प्रेरक तत्व भी एक समान नहीं होते और सभी के व्यक्तित्व के गुण-दोष भी एक समान नहीं हो सकते। यदि कुछ भी एक समान नहीं होता तो फिर हम एक जैसी अपेक्षा कैसे रख सकते हैं? तनाव या चिंता का एक आदर्श स्तर होता है। इससे कम और अधिक चिंता होना दोनों ही बच्चे के लिए हानिकारक है परंतु हमें समझना होगा कि सभी बच्चों की ङ्क्षचता का स्तर एक समान नहीं होता। कुछ बच्चों के तनाव, चिंता का स्तर उस स्तर से निम्र, तो कुछ का स्तर उससे ऊपर होता है। इसलिए सभी अभिभावकों को अपने बच्चों के तनाव अथवा चिंता का स्तर पता होना आवश्यक है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आत्मविश्वास तनाव मुक्त परीक्षाओं की कुंजी है।परीक्षा का थोड़ा तनाव हमें सक्रिय प्रेरित और हमारे ध्यान को केंद्रित करता है परंतु पूर्ण तनाव परीक्षाओं के सफ़ल प्रदर्शन में रुकावट पैदा करता है विद्यार्थी सकारात्मकता से मैं मेहनती हूं, साहसी हूं, यह कर सकता हूं, सब कुछ अच्छा ही होगा की मानसिकता रख आत्मविश्वास रूपी चाबी का प्रयोग करें।
— किशन सनमुखदास भावनानी