कर के दर्द की नुमाइश, सुर्खियाँ बाँट लेते है।
सनसनी बनी रहे, ये बस्तियाँ बाँट लेते है।
जबान वालों से बेहतर है, हमारी दुनिया,
हम इशारों इशारों में ही खुशियाँ बाँट लेते है।
अब देश के निखरेंगे हालात, साझा प्रयास से।
थोड़ी तुम लो थोड़ी हम, जिम्मेदारियाँ बाँट लेते है।
थोड़ी मुझ में है कमियां, तुम भी कहाँ मुक्कमल,
चलो अपनी खूबियां, और कमियाँ बाँट लेते है।
के अब मान भी जाओ” सागर”,न रहो तंहा तंहा,
थोड़ा तुम जियो थोड़ा हम, मस्तियाँ बाँट लेते है।
— ओमप्रकाश बिन्जवे “राजसागर”