हुनर
शीतल-मंद-सुगंधित बयार से बतियाता समीर एक जंगल से गुजर रहा था. एक पेड़ पर मधुमक्खी के छत्ते को देखकर मधुमक्खी से बतियाने लगा- “मधुमक्खी रानी, तुम इतनी मेहनत करके शहद बनाती हो, पर तुम्हारा शहद तो औरों के ही काम आता है, फिर तुम इतनी मेहनत क्यों करती हो?”
“शहद बनाना हमारा हुनर है, अगर हम शहद नहीं बनाएंगी, तो हमारा हुनर ही सुप्त-लुप्त हो जाएगा.”
कमाई कम होने के कारण बहुत दिनों से अपने कशीदाकारी के हुनर से निराश समीर नये जोश से अपने हुनर को निखारने में लग गया.