योग भगाए रोग, संगीत रखे निरोग
21 जून 2015 को भारत को संयुक्त राष्ट्र ने मंजूरी प्रदान की और प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। योग प्रकृति में विद्यमान है योग हमारे जीवन में जोड़कर हमें आगे बढ़ाने का काम करता है।शिशु की क्रीडा में योग है। व्यायाम है। योग एक जीवन का बैलेंस है।योग से हमारी सांसे नियंत्रित होती है। योग के प्रकाश में संगीत सांसे भरती है।
प्रतिवर्ष 21 जून को योग दिवस के साथ वर्ल्ड म्यूजिक डे के रूप में मनाया जाता है। वर्ल्ड म्यूजिक डे की शुरुआत 1982 को फ्रांस में हुई थी।विश्व में सदा शांति बनी रहे इस मकसद को लेकर फ्रांस में प्रथम बार 21 जून 1982 को पहली बार विश्व संगीत दिवस के रूप में मनाया गया जिसका श्रेय वहां की सांस्कृतिक मंत्री श्री जैक लो को जाता है। हालांकि 1976 में अमेरिका के एक संगीतकार योएल कोहेल ने म्यूजिक डे मनाने का जिक्र किया था। शरीर को स्वस्थ रखने में योग जरूरी है उतना ही संगीत भी जरूरी है।
योग और संगीत में अद्भुत ताकत है। इसीलिए दुनिया ने गहराई से जाना है। मन से माना है। नदियों की कलकल।भंवरों की गुंजार। कोयल की कुहूक और मोर का नृत्य यह स्वरों का सरगम है। संगीत वह कला है, साधना है जो जीवन उस सरस ही नहीं बनाती बल्कि जीवन में एक मधुर रस बोल देती है।जीवन के मनोरम बनाता है। जीवन जीने की कला का सेतु है। सौंदर्य का नाद। वाणी का गान है। संगीत मधुरता की मिठी अमृत मय लहर है। संगीत और योग हमारे जीवन में एक दूसरे के पूरक है। दोनों का अपना अलग महत्व है।दोनों ही हमारे मन मस्तिष्क में एकाग्रता का काम करते हैं। और एकाग्रता ही वह सिद्धि है जो असफल को सफलता की सीढ़ी का कार्य करती है। दोनों में अध्यात्म बसा है। जीवन जीने की कुंजी है और यह हमारे भारत की नहीं पूरी दुनिया की पूंजी है। शांति के द्वार हैं। संगीत में योग हैं और योग में संगीत है। योग से आराम और संगीत में शांति मिलती है। हमें इन दोनों की कितनी जरूरत है ! दोनों में गहरा रिश्ता है। कि ये हर मर्ज की दवा है। गरीब की भी अमीरी है ।कुदरती करिश्मा और वरदान है।योग से भागता है रोग वैसे संगीत से भी भागता है रोग। आज विश्व के मानव हेतु इन दोनों की बहुत ही जरूरत है।
योग और संगीत तन और मन को स्वस्थ। मजबूत और खुशनुमा रखने का कार्य करते हैं। संगीत के लिए अलग-अलग वाद्य यंत्र है। जिस पर संगीत की लिए अलग-अलग धून और स्वर काम करते हैं। संगीत प्रकृति के साथ जन्मा हुआ है। सृष्टि के कण-कण और क्षण क्षण में संगीत का स्वर गुंजायमान है।संगीत शरीर ही नहीं बल्कि आत्मा परमात्मा को मिलाने की औषधि के समान है। संगीत जीवन के कठिन संघर्षों के घाव का मरहम है। हमारे जीवन के उतार-चढ़ाव में संगीत हमारा जीवनसाथी है। दीपक की तरह बाती के समान है। जो जीवन के प्रकाश को फैलाने का काम करता है। कष्टों में मित्र के समान और प्रेम में प्रेसी के समान है। संगीत जीवन का जादू है। आनंद की कसौटी है। नृत्य की थिरकन है।सच में जीवन की धड़कन है। नवजात शिशु का झुनझुना है। संगीत भी हमारी भाषा है। संगीत एक सकारात्मक सोच भी है और अभिव्यक्ति भी है।संगीत जीवन में उल्लास की बाहों में भरने वाला हमसफर के समान है।योग तन मन को स्वस्थ रखता है वैसे ही संगीत भी तन मन और आत्मा को प्रफुल्लित करता है।
संगीत को सुनकर दिल और दिमाग बाग बाग हो जाता है अर्थात् पुष्ट हो जाते हैं।
अपने पसंदीदा संगीत को सुनकर मूड भी अच्छा हो जाता है। चिंता और अवसाद में संगीत हमारे जीवन में रामबाण की तरह है। संगीत से शांति प्राप्त होती है। टूटे हुए इंसान को जोड़ने का काम करता है। इंसान को आंतरिक एवं बाहरी ताकत मिलती है म्यूजिक हमारे जीवन में थेरेपी की तरह काम करता है।
— डॉ. कान्ति लाल यादव