कविता

आत्म निरीक्षण कीजिए

हमारा जीवन खुद एक परीक्षा है
जिसके परीक्षक हम आप खुद हैं,
अब यह आप पर निर्भर करता है
कि आप अपने जीवन की परीक्षा का
कितना ईमानदारी से परीक्षण करते हैं,
कितनी ईमानदारी से खुद को कितने में
कितना कम या ज्यादा नंबर देते हैं।
मेरे कहने का मतलब महज इतना है
कि खुद का आत्म निरीक्षण कीजिए
ईमानदारी से खुद का आंकलन कीजिए,
किसी और को यह अधिकार मत दीजिए
नियमित दिनचर्या का इसे हिस्सा बना लीजिए।
सच मानिए आपका जीवन संवर जाएगा
अपने गुण दोष का पता खुद ब खुद लग जायेगा,
अपने को सहेजना बहुत आसान हो जाएगा
कल पछताने से आज ही छुटकारा मिल जाएगा।
तो आइए हम सब खुद से ये वादा करें
अपने आत्म निरीक्षण का संकल्प करें,
किसी की सलाह का इंतजार न करें
अपने आप का खुद ही कल्याण करें।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921