कविता

मेरा देश

विश्व में अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाला
प्रथम देश कहलाता है।
कृषि प्रधान सोने की चिड़िया,
जगत गुरू कहलाता है।।1।।
किसी भी देश पर नही करता आक्रमण,
शान्तिदूत कहलाता है।
सभी त्यौहार उत्सव प्रेम से मनाते,
धर्म निरपेक्ष कहलाता है।।2।।
सभी जाति सभी वर्ग रहते
कभी भेदभाव नही करता है।
स्वतंत्र है सभी प्राणी,
सभी के दीर्घायु की कामना करता है।।3।।
अलग-अलग धर्म सम्प्रदाय,
कोई भेदभाव नही रखता है,
अपना-अपना कर्म सभी करते,
देश हित में सहयोग सबका रहता है।।4।।
हम एक है एक रहेगें,
देश भक्ति का तिरंगा ऊँचा रहता है।
जियो और जिने दो का सिद्धान्त,
पूरे विश्व को मेरा देश देता है।।5।।
विश्व में अंहिसा भाईचारा,
का प्रचार घर-घर तक पहुचाता है
इसलिये पूरा विश्व,
भारत की धरती पर सीखने आता है।।6।।
— उत्सव जैन ‘कवि’

उत्सव जैन ‘कवि’

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