गीतिका/ग़ज़ल

मेरी बहना

बँधी वो प्रीत की डोरी, कलाई याद आती है।

रसीले स्वाद हो जिसकी,मिठाई याद आती है।।

कहूँ कैसे भला उसको, कि कितनी प्रीत है उससे।

कभी भाई बहन की ये, लड़ाई याद आती है।।

नहीं ख्वाहिश अगर पूरी, जरा सी रूठ जाती थी।

रखे वो ख्याल जब मेरी,दवाई याद आती है।।

कभी मैं खेल में हारा,चिढ़ाती औ सताती थी।

मगर हर जीत में मेरी,बधाई याद आती है।।

बिना उसके यहाँ घर में, नहीं पल भी रहा जाता।

चली क्यों दूर वह मुझसे, जुदाई याद आती है।।

~~ प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ [email protected]