मुक्तक/दोहा मेरे श्याम समीर द्विवेदी नितान्त 07/02/2024 तुम ही मीरा राधिका, हो तुम ही घनश्याम ।। डूबा हूं मैं सोच में, क्या दूं तुमको नाम ।। — समीर द्विवेदी नितान्त