कविता

सावन 

समाप्ति ग्रीष्म की 

बरसात की बूंदों ने जताई…

वनस्पतियाँ पड़ी पीली 

खुशी से मुस्कुरायीं…

सूखी हुई जल-धाराओं ने 

धीरे-धीरे साँसें लीं …

फूलों ने मुस्कुराते हुए

ओस का स्वागत किया…

सावन का आगमन 

मेढ़कों के और अबाबीलों के 

मोरों-कोयलों और उड़नेवाली धीमाकों के

गाने-बजाने और नृत्य के साथ हुआ…

धीरे-धीरे 

छा गया है और समा गया है…

पूरी प्रकृति वश में कर ली है…

और हमें भी 

वाह सावन,

तू ना 

एक अद्भुत ऋतू है…   

दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि

दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि

द्वितीय वर्ष की छात्रा, श्री पालि मंडप, कोलम्बो विश्वविद्यालय, श्री लंका