लघुकथा

समझ

“भूख बहुत होती है उसमें आदमी की सोचने समझने की समझ तक चली जाती है और इसका फायदा शहर के नेता जी खूब उठाना जानते हैं ।”

“सही कहते हैं राम जी । कमबख्त चुनाव चीज ही ऐसी है ।अच्छे भले आदमी से गिरा गिरा से काम भी करवाया देती है। हमारे नेता जी का कोई दोष नहीं है।वो तो बेचारे कुर्सी के प्यार में अंधे हो चले उनको कुछ भी नहीं दिखता है।” रहीम ने चुटकी ले अंदाज में कहा और राम जी की हंसी छूट गई।

— अभिषेक जैन

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश