कविता

ताकत का प्रतीक

कभी सोचा है कि

क्या हो सकता है ताकत का प्रतीक,

सोचो भविष्य की राहें

देख विचार कर अतीत,

शेर को भी कभी कभी

मिल जाता है सवा शेर,

जो पल में कर देता है ढेर,

वो एक जानवर है

जी हां हिंसक जानवर,

पर कैसे मान लें उसे ताकतवर,

बल धन सत्ता और दौलत,

जीने की राह में बनते सहूलियत,

लेकिन असल ताकत का प्रतीक है

कलम, हां एकमात्र कलम,

वो भी निष्पक्ष कलम,

जिससे सभी डरते हैं,

सत्ता व तानाशाह,

जिससे डरते हैं सब

वो लिखते हैं बिना डरे हर बात,

कलम मतलब ज्ञान, विज्ञान,

झटके से सबकुछ जान,

कलम कभी हिंसा को बढ़ावा नहीं देता,

सम भाव बढ़ाकर रखता छलावा नहीं देता,

डरपोक कलम पकड़ने का दिखावा करता है,

कलम की आजादी छीनकर,

हर काल के तानाशाह डरते रहते हैं सदा

कलम व कलमकारों से।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554