योजना, कर्म, संतुष्टि के बिन,
टारगेट जब तनाव देत हैं, कर्म न हम कर पाते हैं।
योजना, कर्म, संतुष्टि के बिन, असमय ही मर जाते हैं।।
जीवन का है अर्थ समझना।
नहीं किसी को गलत समझना।
संदर्भ और प्रयोग समझकर,
जिज्ञासु! वाक्व का अर्थ समझना।
जीवन का ही लक्ष्य न समझे, लक्ष्य का गाना गाते हैं।
योजना, कर्म, संतुष्टि के बिन, असमय ही मर जाते हैं।।
कर्म तुम्हारे हाथ सही है।
यही सीख गीता में कही है।
यात्रा का आनंद उठाओ,
आगे भी तो वही मही है।
कर्म बीज है, धैर्य सिचाई, समय से फिर फल आते हैं।
योजना, कर्म, संतुष्टि के बिन, असमय ही मर जाते हैं।।
राष्ट्रप्रेमी की नहीं है इच्छा।
कदम-कदम है मौज परीक्षा।
कर्म की खातिर कर्म करो बस,
अनुभव देता सच्ची दीक्षा।
फल नहीं, बस कर्म लक्ष्य है, छात्रों को समझाते हैं।
योजना, कर्म, संतुष्टि के बिन, असमय ही मर जाते हैं।।