हे नारी
शक्तिहीन नारी नहीं, सूर्य किरण की धूप।
अम्बे चंडी कालिका, गौरी लक्ष्मी रूप।।
गर नारी अपमान हो, भरे देह में क्रोध।
मृत्युदंड साहस रखे, और करें प्रतिशोध।।
पुरुषों सी है योग्यता, उड़ें गगन की ओर।
प्रथम सदा नारी रहे, है जग में यह शोर।।
गंगाजल सा वक्ष हो,ना मलीन ये होय।
सत्य मार्ग चलती रहे, जीवन भर ना रोय।।
हे नारी! चहुंँओर है,तेरा ही गुणगान।
अहम भाव ना पालना, ना खोना सम्मान।।
यश फैले ऐसे सदा, जैसे बहता नीर।
रहे हृदय में सौम्यता, ममता की तस्वीर।।
— प्रिया देवांगन “प्रियू”