गीत/नवगीत

आओ हार के, बहाने ढूंढें ।।

भीषण गर्मी में, चुनाव क्यों कराए
कार्यकर्ता घर से, निकल न पाए
सही मौसम में, जो मतदान होता
परिणाम बिल्कुल, पलट कर होत

आओ हार के, बहाने ढूंढें।।

चार सौ पार , नही किया तो क्या
तीसरी बार, सरकार तो बनाई
अति विश्वास में, जरा पिछड़ गये
फिर भी हैट्रिक, तो लगाई ।

आओ हार के, बहाने ढूंढें।।

बेशक सीटें कुछ, कम हुई हैं

लेकिन, वोट प्रतिशत , बढ़ा है
हमारी नीतियों की, जीत हुई है
पूरी ताकत से, चुनाव लड़ा है ।

आओ हार के, बहाने ढूंढें।।

अभी तो, शुरुआती, रुझान हैं
ई वी एम , जरा खुलने दीजिए
प्रचंड बहुमत से, विजयी होंगे
गांव गांव घूमे हैं, भरोसा रखिए

आओ हार के, बहाने ढूंढें।।

ईवीएम में जो, गड़बड़ी न होती
उनकी खटिया खड़ी, हो गई होती
फिर भी मुश्किल से, जीत पाए हैं
जोड़ तोड़ पर, निगाह जमाएं हैं।

आओ हार के, बहाने ढूंढें।।

मेहनत में मेरी, कोई कमी नही थी
हर रैली में भीड़, ठूंस ठूंस भरी थी
शायद मतदाता ही, भ्रमित हो गया
लगता है पैसे का, खेल चल गया।

आओ हार के, बहाने ढूंढें ।।

देखना सरकार, हमारी ही बनेगी
विरोधियों की दाल,कभी न गलेगी
छोटे दल साथ, देने को तैयार हैं
तुमसे तो कहीं,अच्छे हमारे हाल हैं

आओ हार के, बहाने ढूंढें।।

हार की जिम्मेदारी, मैं लेता हूं

तत्काल प्रभाव से, इस्तीफा देता हूं
पार्टी जो भी निर्णय ले, स्वीकार्य है
आलाकमान पर,अब दारोमदार है

आओ हार के, बहाने ढूंढें।।

ज्यादा दिन सरकार,चला न पाएंगे
आपसी लड़ाई में, खुद मारे जाएंगे
जनता हमारे साथ, ही थी, और है
मध्यावधि चुनाव में, ये हार जाएंगे

आओ हार के, बहाने ढूंढें।।

अपनी हार हम, स्वीकार करते हैं
जनता के निर्णय, को माथे धरते हैं
बैठक में हार की, समीक्षा करेंगे
बेमेल गठबंधन, अब और न करेंगे

आओ हार के, बहाने ढूंढें।।
आओ हार के, बहाने ढूंढें।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई