अम्बे तू गौरी
माँ अम्बे तू गौरी
तेरे ही रूप अनेक
तू तीनों लोक में प्रसिद्ध
सबकी इक्षा पूर्ण करने वाली
नव नामों से तू पुकारी जाती
प्रथम तू शील तपस्या से परिपूर्ण
शैलपुत्री से जानी जाती
दूसरी ब्रह्मा जी की स्वरूप प्राप्त
ब्रह्मचारिणी से प्रसिद्ध हुई
तीसरी तू चन्द्र घंटा में स्थित
चंद्र-घंटा से चरीचार्थ हुई
संसार जिनके उदर में स्थित हो
उस देवी के चौथे रूप कूष्माण्डा से जानी जाती
माँ शक्ति से उत्पन्न सनतकुमार के नाम से
पाँचवीं रूप को स्कंदमाता से प्रसिद्ध हुई
महर्षि कात्यायन के आश्रम से प्रकट हुई
माँ के छठे रूप को कात्यायनी कहते है
सब दुष्टों को संहार करने वाली काल के रात्रि
माँ के सातवें रूप को काल-रात्रि कहते है
महान गौरवपूर्ण तपस्या द्वारा प्राप्त
माँ के आठवीं रूप को महागौरी कहते है
तीनों लोक में सबको मोक्ष प्रदान करने वाली
माँ के नवे रूप को सिद्धिदात्री के नाम से जानते हैं
नवरात्रि में नौ रूपों के नाम से प्रसिद्ध
तेरे रूप तीनों लो-को में प्रसिद्ध
तू माँ संसार में महान
तू दुःख हरनी माँ तू सुख करनी
तेरे पूजन तेरे सारे जीवन का उद्धार होता
माँ तू जग में महान ।
— रूपेश कुमार