सामाजिक

बच्चों में स्वास्थ्य देखभाल गुणवत्ता सुधार

वैश्विक स्तरपर हम मनीषी जीव के अनेक रूप देखते हैं, कोई सड़क पर भीख मांग रहा है तो कोई विश्व का सबसे अमीर है!कोई स्वास्थ्यता से डैमेजहोकर दिव्यांग है तो कोई विश्व कासबसे स्वस्थ व्यक्ति!कोई बच्चाफुटपाथ पर जीवन जी रहा है तो कोई महलों में है। हालांकि इस स्थिति को किस्मत का खेल भी हम मानते हैं परंतु इस बात से हम इनकार नहीं कर सकते कि अगर एक माली या किसान जमीन में कोई बीज बोकर उसका सतर्कता से ध्यान रखना है,अंकुरित होकर पौधा होने तक उसका पूरा ध्यान रखना है तो अधिकतम संभावना उसके फलदार वृक्ष बनकर आजीवन स्वस्थ उत्पादकता बनी रहती है, जिसकी नीव उसे अंकुरित बीज की देखभाल करने से पड़ी! ठीक उसी तरह अगर हम अपने बच्चों क़े स्वास्थय, जीवन शैली, स्वस्थ्य विकास,गुणवत्ता सुधार पर उनके बचपनसे ही गंभीरता व सतर्कता से ध्यान देंगे तो उनमें गुण ही अंकुरित होते जाएंगे उनके स्वास्थ्य व स्वस्थ्य विकास के फल उनके जीवन पर्यंत मिलेंगे। आज हम इस विषय पर बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि प्रतिवर्ष अक्टूबर माह के प्रथम सोमवार को, 7 अक्टूबर 2024 को अमेरिका राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य दिवस व भारत में 1 से 7 सितंबर 2024 को राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया गया है,जहाँ बच्चों के स्वास्थ्य में अनेक गाथाएं लिखी गई है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, आओ बच्चों में स्वास्थ्य देखभाल, गुणवत्ता सुधार स्वस्थ्य विकास रूपी बीज बोकर उन्हें जीवन पर्यंत स्वस्थ व फलदार वृक्ष रूपी गुणवान बनाएं। 

साथियों बात अगर हम अमेरिका में प्रतिवर्ष अक्टूबर के प्रथम सोमवार,इसवर्ष 7 अक्टूबर 2024 को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य दिवस मनाने की करें तो, इस दिन जहाँ हम बच्चों के स्वास्थ्य, परिवार और उनकी मदद करने के लिए कड़ी मेहनत करने वालों के प्रति अपना समर्थन दिखाते हैं परिवार की आय बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख कारक है। उन्नीसवीं सदी के मध्य तक बच्चों के उपचार के लिए कोई समर्पित सुविधा नहीं थी। उनका इलाज घर पर ही किया जाता था और अगर परिवारों के लिए यह विकल्प नहीहोता था , उस समय बच्चों के स्वास्थ्य की समझ को परिभाषित नहीं किया गया था और अक्सर परित्यक्त और अनाथ बच्चों को शिशु आश्रय गृहों में छोड़ दिया जाता था। अब समय के विकास के साथ बच्चों के स्वास्थ्य और गुणवत्ता पर ध्यान देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। 

साथियों बात अगर हम विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैश्विक बाल स्वास्थ्य एजेंडे की करें तो,पिछले दशकों में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों का जीवित रहना वैश्विक बाल स्वास्थ्य एजेंडे का मुख्य केंद्र रहा है। परिणाम स्वरूप, 1990 और 2019 के बीच वैश्विक बाल मृत्यु दर में 60 प्रतिशत की कमी आई। 2020 में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में होने वाली 5.2 मिलियन मौतों में से कई मौतें कमज़ोर आबादी में केंद्रित थीं, विशेष रूप से उप सहारा अफ़्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में!इस बात के प्रमाण के आधार पर कि आजीवन स्वास्थ्य, उत्पादकता और कल्याण की नींव बचपन में ही रखी जाती है, स्वास्थ्य क्षेत्र की यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है कि बच्चे न केवल जीवित रहें, बल्कि फलते-फूलते रहें। सतत विकास लक्ष्यों में छोटे बच्चों के विकास को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट लक्ष्य शामिल हैं,जो मानव पूंजी उत्पन्न करता है जो हर बच्चे का अधिकार है, और न्यायसंगत और सतत प्रगति के लिए आवश्यक है। एक सुरक्षित, स्वस्थ और सुरक्षात्मक वातावरण यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि सभी बच्चे अपनी पूरी क्षमता तक बढ़ सकें और विकसित हो सकें। बता दें 12-14 नवंबर 2024 को मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य और पोषण के लिए रणनीतिक और तकनीकी सलाहकार समूह के विशेषज्ञों  की 10 वीं बैठक का एजेंडा विश्व बैंक द्वारा तैयार कर लिया गया है।बचपन की बीमारियों का प्रबंधन गुणवत्तापूर्ण, बाल-केंद्रित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के कार्यान्वयन का समर्थन करके,डब्लू एचओ देशों को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में काम करने में मदद करता है।उसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी बच्चे अपना 10 वां जन्मदिन अच्छे स्वास्थ्य में मना सकें।स्वास्थ्य सुविधाओं में लाए गए बच्चे अक्सर एक समय में एक से अधिक स्थितियों से पीड़ित होते हैं, और पर्याप्त देखभाल प्रदान करना एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। कम संसाधन वाले देशों में प्रथम स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं में, रेडियोलॉजी और प्रयोगशाला सेवाओं जैसे नैदानिक ​​समर्थन न्यूनतम या न के बराबर होते हैं, और दवाएँ और उपकरण अक्सर दुर्लभ होते हैं।इन सीमाओं के बावजूद उच्च-गुणवत्ता वाली देखभाल सुनिश्चित करने के लिए,डब्लूएचओ बचपन की बीमारी के एकीकृत प्रबंधन के निरंतर कार्यान्वयन को बढ़ावा देता है। निमोनिया, दस्त,मलेरिया  खसरा और कुपोषण। इसके तीन घटक हैं: स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों के केस प्रबंधन कौशल में सुधार, समग्र स्वास्थ्य प्रणालियों में सुधार, और परिवार और सामुदायिक प्रथाओं में सुधार।प्रसार वाले क्षेत्रों के लिए अनुकूलित किया जा सकता है। इसे 10 वर्ष तक के बच्चों तक विस्तारित करने के लिए चर्चा चल रही है। 

साथियों बात अगर हम बच्चों के पालन पोषण की करें तो जिस तरह से माता, पिता और अन्य देखभालकर्ता शुरुआती वर्षों में बच्चों का पालन-पोषण और समर्थन करते हैं, वह स्वस्थ विकास और वृद्धि के लिए सबसे निर्णायक कारकों में से एक है जिसमें स्वास्थ्य, उत्पादकता और सामाजिक सामंजस्य के लिए आजीवन और अंतर-पीढ़ीगत लाभ हैं।बेहतर तरीके से बढ़ने और विकसित होने के लिए, बच्चों को पोषण संबंधी देखभाल प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। इसका मतलब है कि वे पर्याप्त पोषण और अच्छेस्वास्थ्य का आनंद लें, सुरक्षित और संरक्षित महसूस करें, और जन्म से ही सीखने के अवसर प्राप्त करें। बीमारी के दौरान विशेष स्तनपान, टीकाकरण और समय पर देखभाल सभी बच्चे के स्वस्थ विकास और वृद्धि में योगदान करते हैं। स्वच्छ हवा, पानी और स्वच्छता, और खेलने और मनोरंजन के लिए सुरक्षित स्थान भी छोटे बच्चों के लिए तलाशने और सीखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।जब देखभाल करने वालों को उनके देखभाल के तरीकों, परिवार, समुदाय और स्वास्थ्य सेवाओं में समर्थन मिलता है, तो उन्हें लाभ होता है। दूसरों की देखभाल करने के लिए उन्हें खुद को अच्छा महसूस करने की आवश्यकता होती है और इसलिए, देखभाल करने वाले के मानसिक स्वास्थ्य को संबोधित करना उन सेवाओं का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो बच्चों के स्वस्थ विकास और विकास का समर्थन करती हैं। 

साथियों बात अगर हम भारत में 1 से 7 सितंबर 2024 को मनाए गए राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की करें तो बच्चों सहित युवाओं का शरीर स्वस्थ तभी होगा जब उसे जरूरी मात्रा में पौष्टिक तत्व मिलते रहेंगे, लेकिन आज के दौर में लगभग सभी उम्र के लोगों में अनहेल्दी फूड हैबिट्स काफी ज्यादा बढ़ गई है।शरीर के लिए पोषण की जरूरत के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा हर साल राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है।जिस तरह इंजन को चलने के लिए पेट्रोल की जरूरत होती है, वैसे ही हमारे शरीर को कार्य करने के लिए आहार की जरूरत होती है,लेकिन शरीर स्वस्थ व निरोगी रहे, हर आयु में उसका विकास सतत रहे तथा शरीर के सभी तंत्र व प्रणालियां सही तरह से कार्य करें, इसके लिए बहुत जरूरी है शरीर को जरूरी मात्रा में पोषण मिलता रहे।  लेकिन अलग-अलग कारणों से बहुत बड़ी संख्या में लोग विशेषकर बच्चे जरूरी मात्रा में पोषण ग्रहण नहीं कर पाते हैं और कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।

— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया

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