कविता

रिटायर

कहने को तो हो रही हो रिटायर,
बट जस्ट चिल अब लगा देना फायर।

पर इस दिल से जाने की नहीं है इजाजत,
बेरोकटोक खटकायेंगे दरवाजे
हम भी अब छोड़ देंगे शराफत।

तुम अब हो रही हो आजाद
कितने दिन तक सहा तुमने अघात|
वह कॉपियों की करेक्शन,
वह प्रिंसिपल की किच किच,
स्कूल की वो तकलीफदेह घंटियां,
सुबह की अफरा तफरी मिच मिच।

अब जिंदगी में नो टेंशन
नहीं होगा अब कोई समर सेशन.
अब जब भी सुबह बजेगा अलार्म
घड़ी को बंद करके सो जाओगी चद्दर तान।

जियोगी अब तुम सुख चैन से,
खुशियां छलकेंगी तेरे दोनों नैन से,
यह बात है याद आओगी तुम
टिफिन तुम्हारी जो रहेगी गुम।

अब जा सिमरन जी ले अपनी जिंदगी
कल से करना जी भर कर दिल्लगी।

अब कुछ वर्षों के बाद
हम भी आ जाएंगे तेरे साथ|
फिर जब हम मिलेंगे सब यार
हंसी खुशी की बरसेगी फुहार।

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]

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