हाइकु/सेदोका

हाइकु

उगता सूर्य
मिटता जग तम
हो उजियारा

कच्ची कलियां
फूल बनने को हैं
फैलेगी खुश्बू

भोर हुई है
चिड़ियां चहकीं हैं
शुभ संदेश

ओस की बूंदें
सरसों के पत्तों के
ऊपर देखो

कैसे चमकीं
मोती सी बनकर
ओस की बूंदें

यह वक्त तो
बड़े-बड़े जख्म भी
भर देता है

सारे गम भी
भुला देता है यह
बेदर्दी वक्त

वक्त का मारा
रोता है हर वक्त
वक्त सताये

वक्त दिखाये
जन्नत का महल
वक्त दे सुख

यह वक्त तो
बड़ा बलवान है
बेरहम भी

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111