नई शुरुआत
“रिक्शे वाले भैया जरा रुको ” सब्जी के बाजार के पास से रिक्शा गुजरने लगा तो दीनदयाल ने कहा।
यह सुनते ही उनकी पत्नी सुधा ने कहा कि यह आप क्या कर रहे हम अपने घर नहीं जा रहे हैं कि आप सब्जी खरीद रहे हैं हम तो आपके मित्र के घर जा रहे हैं हमें तो मिठाई और बच्चों के लिए चॉकलेट लेनी है।
दीनदयालजी सब्जियां खरीदकर अपनी पत्नी सुधा से कहने लगे, “आजकल हर घरों में मधुमेह के मरीज रहते हैं तो मिठाई की कोई जरूरत नहीं है और रही बात चॉकलेट की तो चॉकलेट से भी बच्चों के दांतों को नुकसान होता है तो सब्जियां ले जाने में भला क्या बुराई है आखिर सब्जी तो हमारे भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।और नई शुरुआत हम करेंगे.”
हरी हरी और ताजी सब्जियां देखकर दीनदयाल के मित्र सुदर्शन बड़े प्रसन्न हुए और दीनदयाल से गले लग कर कहने लगे “ताजी सब्जियों के साथ तूने पुरानी यादें भी ताजा कर दी ।याद है,, दफ्तर से निकलते ही हम दोनों ऐसी ही ताजी सब्जियां खरीदा करते थे “और दोनों मित्र मुस्कुरा उठे।
— अमृता राजेन्द्र प्रसाद