यमराज ने ठाना
जब से संसद में बजट पेश हुआ
तब से बेचारे यमराज का मुँह
सबसे ज्यादा फूलकर लटक गया,
आज मैंने इसका कारण पूछा
तो वह फफक कर रो पड़े।
मैंने उनके आँसू पोंछे, हौसला बढ़ाया
तब वह किसी तरह बोल पाये
प्रभु! मेरी बात सुनकर आप ये मत कहना
कि मैं विपक्षी दलों से मिल गया हूँ,
उल्टे उनसे तो मुझे भी कोई उम्मीद ही नहीं,
और आखिर करुँ भी तो क्यों?
उनकी सरकार तो है नहीं
और निकट भविष्य में कोई उम्मीद भी नहीं।
मगर मोदी जी और निर्मला जी ने
आम बजट में मेरी ओर ध्यान ही नहीं दिया,
मेरी बचत या व्यापार पर विचार तक नहीं किया
और तो और एक बार भी मेरा नाम तक नहीं लिया।
बहुत हो गया, अब मैंने भी ठान लिया है
अगली बार भी वोट माँगने तो आयेंगे ही
तब मैं भी इन सबको आइना दिखाऊँगा,
अजट बजट के चक्कर में पड़ना ही नहीं मुझे
मैं आज ही आपकी सांसारिक दुनिया से दूर
अध्यात्म की दुनिया में चला जाऊँगा,
अपना खुद का एक अखाड़ा बनाऊँगा
और अगले महाकुंभ में डुबकी लगाऊँगा।
गँगा माँ की कृपा से मोक्ष भी पा जाऊँगा
अपना जीवन धन्य बनाऊँगा।
बस! आपकी सरकार, योगी, मोदी, निर्मला जी से
कभी कुछ भी नहीं चाहूँगा,
सारी शिकवा शिकायतें भी भूल जाऊँगा
पर आप जैसा मित्र कभी छोड़ नहीं पाऊँगा।