ग़ज़ल
वो उदास रहे मुझे अच्छा नहीं लगता।
वो जो कहता है जरा सच्चा नहीं लगता।
हरकतें जरुर हैं उसकी बच्चों बाली।
पर उमर से तो वो बच्चा नहीं लगता।
खा के ठोकरें दर दर की थक गया है।
पक गया है वो कच्चा नहीं लगता।
अपनी अपनी नज़र का नजरिया है।
मुझे कहीं से वह टुच्चा नहीं लगता।
जोहरी हो तुमने जांचा परखा होगा।
दीक्षित कहीं से भी सुच्चा नही लगता।
सुच्चा :– मोती
— सुदेश दीक्षित