वादे
काश तुम जिंदा होती
सपने अधूरे वादे अधूरे
सब बात अधूरी
साथ अधूरा
सपने परेशान करते
यादों को बार बार दोहराते
नींद से उठ बैठता
गला सूखने पर
मांगता था पानी
अब खुद उठकर पीता हूं पानी
काश तुम जीवित होती
बीमारी में मुझे छोड़कर न जाती
तुम बिन सब अधूरे
वादे अधूरे
अगले जन्म में होगी साथ
काश यही तो है
विश्वास
वादे होंगे पूरे।
— संजय वर्मा “दृष्टि”