कविता

सूरज से सीख

सूरज की पाठशाला खुली है,
प्रकृति स्वयं शिक्षिका बनी है,
जीवन का दर्शन है यह शाला,
हर किरण में इक सीख सजी है।

सूरज देता स्वास्थ्य-रोशनी-ताप,
पढ़ाता तपन से तपस्या का पाठ,
समर्पण-अनुशासन-परिश्रम-धैर्य के,
सहिष्णुता-कर्मठता के सुरीले साज।

हर उदय एक सुंदर आरंभ का सूचक,
हर अस्त एक सुंदर विश्राम का संकेत,
ग्रहण से भी न डरना, करना सामना,
शीत-तपन-मेघों का आश्रयदाता निकेत।

कथाओं-अफवाहों से तिक्त न होता,
रंग बदले कई मगर वह लिप्त न होता,
सुबह-शाम पर बिखेरे वही लालिमा,
बरसें कितने मेघ, सूरज सिक्त नहीं होता!

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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