सूरज से सीख
सूरज की पाठशाला खुली है,
प्रकृति स्वयं शिक्षिका बनी है,
जीवन का दर्शन है यह शाला,
हर किरण में इक सीख सजी है।
सूरज देता स्वास्थ्य-रोशनी-ताप,
पढ़ाता तपन से तपस्या का पाठ,
समर्पण-अनुशासन-परिश्रम-धैर्य के,
सहिष्णुता-कर्मठता के सुरीले साज।
हर उदय एक सुंदर आरंभ का सूचक,
हर अस्त एक सुंदर विश्राम का संकेत,
ग्रहण से भी न डरना, करना सामना,
शीत-तपन-मेघों का आश्रयदाता निकेत।
कथाओं-अफवाहों से तिक्त न होता,
रंग बदले कई मगर वह लिप्त न होता,
सुबह-शाम पर बिखेरे वही लालिमा,
बरसें कितने मेघ, सूरज सिक्त नहीं होता!
— लीला तिवानी